बेमौसम बारिश और मजदूरों की कमी ने बढ़ाईं दिल्ली के किसानों की मुश्किलें

 


बेमौसम बारिश और मजदूरों की कमी ने बढ़ाईं दिल्ली के किसानों की मुश्किलें 


पिछले दिनों हुई बेमौसम बारिश और लॉकडाउन के दौरान पलायन के बाद फसलों की कटाई के लिए मजदूरों की कमी के कारण किसानों को मुश्किलें बढ़ गई हैं। 


 

फसलों की कटाई के लिए किसान कृषि उपकरणों का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इससे पशुओं के लिए चारा (भूसा) नहीं निकलने की चिंता सताने लगी है। उधर, नजफगढ़ और नरेला की मंडियां बंद हैं।

इस कारण तैयार फसल की सही कीमत न मिलने की भी चिंता है। अब वे सरकार से मुआवजे की गुहार लगा रहे हैं। दिल्ली के 142 गांवों में अलग-अलग फसलों की खेती होती है। इनमें सरसों, गेहूं, धान, जौ, बाजरा जैसे फसलों के अलावा सब्जियां भी उगाई जाती हैं।

लॉकडाउन के दौरान किसानों की चिंता फसलों की कटाई की है। उन्हें मजदूर नहीं मिल रहे हैं। नजफगढ़ क्षेत्र के गांवों में पिछले साल कुल 24 हजार टन फसलों की पैदावार हुई थी। इनमें 60 फीसदी से अधिक गेहूं था।

भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र डागर का कहना है कि इस्सापुर, ढांसा, खैर, सुरहेड़ा, समसपुर, ढिचाऊं सहित कई गांवों के खेतों में गेहूं की फसल पकी खड़ी है, लेकिन कटाई करने वालों की कमी से देरी हो रही है। किसान किसी तरह खुद कटाई कर रहे हैं। फसल काटने के लिए कंबाइन की मदद ली जा रही है, लेकिन इससे पशुओं के लिए चारे की समस्या पैदा हो सकती है। 

किसान रमेश कौशिक ने कहा कि गांवों में फसलों की कटाई और इसकी बिक्री की भी समस्या है। किसी तरह फसलों की कटाई की भी गई तो मंडी बंद होने की वजह से किसान बेच नहीं पा रहे हैं। इस वजह से उन्हें आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।